पूर्णिमा मिश्रा, दिल्ली। वर्ष 2030 तक चीन ने अंतरिक्ष में 1 मेगावाट क्षमता का सौर ऊर्जा स्टेशन स्थापित करने की योजना बनाई थी। हालांकि, सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक चीन 2028 में एक सैटेलाइट लॉन्च करेगा।
चीन का यह उपग्रह 400 किमी की ऊंचाई से अंतरिक्ष से जमीन तक वायरलेस पावर ट्रांसमिशन तकनीक का परीक्षण करेगा। यह सौर ऊर्जा को माइक्रोवेव या लेजर में बदल देगा। लेज़रों का उपयोग करते हुए, ऊर्जा पुंजों को विभिन्न लक्ष्यों की ओर निर्देशित किया जाएगा, जिसमें गतिमान उपग्रह और पृथ्वी पर निश्चित स्थान शामिल हैं।
सौर ऊर्जा संयंत्र की क्षमता 10 किलोवाट होगी, जो कुछ घरों की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। अंतरिक्ष-आधारित सौर ऊर्जा स्टेशन की सैद्धांतिक व्यवहार्यता के लिए, चीन चोंगकिंग के बिशन जिले में 33-एकड़ परीक्षण सुविधा का निर्माण कर रहा है।
अंतरिक्ष सौर ऊर्जा संयंत्र परियोजना की योजना पहली बार 2014 में तैयार की गई थी। सौर ऊर्जा परियोजनाओं को अंतरिक्ष में लाने का विचार 1941 में इसहाक असिमोव द्वारा लोकप्रिय किया गया था, जो एक विज्ञान-कथा लेखक थे। इसके बाद, नासा द्वारा दो दशक पहले इसी तरह की एक ऊर्जा परियोजना का प्रस्ताव रखा गया था। लेकिन कभी विकसित नहीं हुआ। अब, यू.के. सरकार 20.8 बिलियन अमरीकी डालर का कक्षीय सौर ऊर्जा स्टेशन बनाने पर विचार कर रही है।